मेरे अल्फाज़ तेरी आवाज़
मेरे अल्फाज़ तेरी आवाज़
मेरे अल्फाज़ को देकर तुम अपनी आवाज़,
आओ मिलकर करें सुकूननुमा सफर की खुशनुमा आगाज़।
आओ संग मिलकर गुनगुनाएं हम आज !
मिसाल पेश करें हम प्रेम की परिभाषा का करके जीवन में परकाज।
कल किसने देखा है ?
आओ सुकून के कुछ पल संग जी लेते हैं आज ।
एक- दूसरे के दिलों पे हम दोनों ही तो करते हैं प्रेमपूर्वक राज ।
हर सफर में एक- दूसरे का साथ निभाता यही हमारी प्रेम की है तकाज ।
अब संग ही हर साँस लेना है ।
यही मेरी अंतिम अल्फाज़ तेरी आखिरी आवाज़ ।
जैसे दूध में मिश्री घुल जाती है वैसे ही हम खुद में घुल- मिल जायें आज ।
मेरे अल्फाज़ को देकर तुम अपनी आवाज़ ।
अमर बना दें हम अपनी आवाज़।