मेरा घर सबसे प्यारा
मेरा घर सबसे प्यारा
दिन भर रहे कहीं हम लेकिन ,
घर मे साम बिताते हैं।
घर से जुड़ी है यादें अपनी ,
घर ना भूले जाते हैं ।।
ईट फूस लकडी से बने ना ,
घर को प्यार बनाता है ।
देखे ख्वाब पूर्ण करने को ,
मानव भवन बनाता है ।।
बचपन मे मां घर की शोभा ,
अन्नपूर्णा बन जाती है ।
भाई बहन त्यागमय होते ,
उनकी प्यार ही थाती है ।।
खेल के घर मे बीते बचपन ,
करता यौवन मनमानी ।
वही सुखी है सदा जिन्होंने ,
मानी अपनो की वानी ।।
चाहे आलीशान भवन हो ,
गैर से निज घर ही प्यारा ।
आत्मिक है सम्बन्ध इसलिए ,
मेरा घर मुझको प्यारा ।।