मेरा देश
मेरा देश


न जाने क्यों देश जल रहा है
अपनो की नज़रो में खल रहा है
हर तरफ ये दहशत ,दरिंदगी
सरे आम आदमी जल रहा है
कुछ मूर्तियों को तोड़कर वो
आजकल सुर्खियों में चल रहा है।
आतंक को ढूंढते कहाँ हो वो तो
नेताओ की गोद मे पल रहा है।
क्या हुआ मेरे अपने लोगो को
सोचकर अपने हाथों को मल रहा है।
छोटी सी चिंगारी से उठा धुंआ कितना
आग दोनो हाथो में लेकर चल रहा है।
किसको छोड़े किसको बचाये अब
दोनो का ही दामन यहाँ जल रहा है।
क्यो बर्बाद करने पर आमादा हो
क्यों आंखों का पानी जल रहा है
इस हिंसा से कुछ न होगा हासिल
बस अपनो का ही लहू जल रहा है।
मत जलो सियासत की आग में
सड़को पर अपनो का लहू चल रहा है।