मेहनत का फल जादुई चिराग
मेहनत का फल जादुई चिराग
जब हम छोटे बच्चे थे
मेहनत में हम कच्चे थे।
कुछ भी अच्छी चीज देखते
मन करता हमको भी अलादीन का जादुई चिराग मिल जाए। जो हमारी हर इच्छा को पूरा कर दे।
बहुत सारी सॉफ्टी आइसक्रीम और मिठाइयां लाऐ।
जो हम कहें वह हाजिर कर जाए ।
हमारी जगह परीक्षा वह दे आये।
फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ।
बुआ जी हमको कहानी सुना रही थी, बीच में हम सब बोल पड़े हमको भी अलादीन का चिराग चाहिए ।
बिना मेहनत सब अच्छा-अच्छा सामान चाहिए।
बुआ जी ने हमको समझाया अलादीन का चिराग तुम्हारी मेहनत में तुम्हारे ज्ञान में है।
मन लगाकर पढ़ाई करोगे तो तुम अपने आप ही चिराग को पा लोगे।
और इतना पैसा कमा जाओगे कि अपने सारे शौक पूरे कर लोगे।
यह जादुई चिराग कुछ नहीं होताहै।
यह कहानियों में ही होता है। असल जिंदगी में तो मेहनत से ही सब काम होता है।
उसी का फल जादुई चिराग होता है।
हमको यह बात समझ में आई हमने सबने सब भाई बहनों दोस्तों ने इसको जिंदगी में उतारा।
और मेहनत कर जादुई चिराग पाया।
स्वरचित कविता
