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Jai Singh

Abstract

4.0  

Jai Singh

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"मेघ करे तराना "।

"मेघ करे तराना "।

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अच्छी हुई बरसात अब, मेघ करे तराना।

उमस तपन सब खत्म हुई ,गरमी बनी बहाना।

गरमी बनी बहाना,धरा की प्यास बुझाना।

सूखे पड़े नद नाल,पोखर सभी भर जाना।

कह" जय "रहम करके, सच्ची करो वारिद बात।

घटा करो घनघोर,खूब करो तुम बरसात।


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