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Khushbu kumari

Children Stories

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मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की

मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की

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रोम-रोम हर्षित करती है, मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की।

उर आनंद से भर देती है, मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की।

बचपन के सपनों में आती, ट्रीन- ट्रीन की आवाज सुनाती।

भैया की थी डांट सुनाती, कभी-कभी सब काम करवाती ।

मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की ....

हाथ पैर थे छोटे-छोटे, बस एक राउंड के भी थे टोटे ।

पर जब भी मिलता था मौका फिर चाहे जिस किसी ने रोका।

ना रुकती थी ना सुनती थी, पंख लगाकर उड़ती फिरती थी ।

भले कैंची ही चला करती थी, अभी भी पुलकित करती हैं ।

मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की, उर आनंद से भर देती है मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की...

           


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