मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की
मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की
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रोम-रोम हर्षित करती है, मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की।
उर आनंद से भर देती है, मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की।
बचपन के सपनों में आती, ट्रीन- ट्रीन की आवाज सुनाती।
भैया की थी डांट सुनाती, कभी-कभी सब काम करवाती ।
मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की ....
हाथ पैर थे छोटे-छोटे, बस एक राउंड के भी थे टोटे ।
पर जब भी मिलता था मौका फिर चाहे जिस किसी ने रोका।
ना रुकती थी ना सुनती थी, पंख लगाकर उड़ती फिरती थी ।
भले कैंची ही चला करती थी, अभी भी पुलकित करती हैं ।
मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की, उर आनंद से भर देती है मधुर ध्वनि मेरे साइकिल की...
