मधुमास
मधुमास
लगे भोर नीले अम्बर की, सूरत कितनी भोली
टेर पपीहा रहा देर से, पिया पिया की बोली।
सतरंगी रंगों से देखो, भर भर लायीं मुट्ठी
नीलाम्बर के आंगन किरणें, रचने लगीं रँगोली।
महक रहे हैं बौर कूकता, कोकिल अमराई में
त्रिविध समीरण ने है खोली, निज सुगंधमय झोली।
झुला रहीं डालियाँ सुमन को, पवन दे रहा झोंके,
उपवन के फूलों ने हँस कर, अमृत प्याली खोली।
आया फागुन मास दृष्टि है, मुग्ध नशीली चितवन
मलने गाल गुलाल चली है, अलमस्तों की टोली।
पड़ती है बौछार प्रेम की, रँग जाता है जीवन,
विविध रँगों से हैं रँग जाते, तन मन लहँगा चोली।
सौंप गया मधुमास रँगीले, सपनों की सौगातें
तिरछी चितवन ने नयनों में, प्रीति रंग सी घोली।