मौसमे-हिज़्र
मौसमे-हिज़्र
माना कि तेरे बिन हम जी ना पायेंगे,
जिंदा रहके उम्र भर ये ग़म उठाएंगे,
तुम पे इश्क में मरे थे हम इक मर्तबा,
हमेशा थोडा ही खुद को आजमाएंगे,
धड़कते दिल में है इक नाम की गूँज,
साँसों से हम उसकी पहचान बताएंगे,
बना देंगे हक़ीक़त जो थे ख्याल कभी,
तुम्हारे ख्वाबों से नहीं दिल बहलायेंगे,
तन्हाइयों में ग़मगीन रतजगे हुए बहुत,
दर्द को अब दिन के उजाले दिखाएंगे,
गर बहारे-वस्ल रही कमज़ोरी हमारी,
मौसमे-हिज़्र को अपनी ताक़त बनाएंगे,
'दक्ष' नाम हमारी हस्ती-ओ-वज़ूद का,
किसी के मिटाये नहीं हम मिट जाएंगे।