मौसम सावन का
मौसम सावन का
करने को स्वागत,
सावन का वसुधा नेओढ़ी है चादर
हरियाली और सुमनों की
और बरसती है अमृत की धारा।
झूम झूम के नील गगन से
जिसको पीकर तृप्त हो गई
तपती धरती माँ, वहीं,
भगवान भोले को अति प्रिय
है श्रावण मास
और दिनों की अपेक्षा
जल्दी प्रसन्न होते हैं-भक्तों से,
सावन के आते ही,
सजते मंदिर और शिवाले
और शुरू होती है,
काँवड़ यात्रा शिव भक्तों की।
जो लेकर आते हैं गंगा जल को
अर्पण
करने भोले बाबा को,
सावन के आते ही शुरू हो जाते
सारे तीज और त्यौहार और
वहीं पड़ गये हैं झूले बागों में, वहीं।
सावन के मौसम में
देख के काले मेघों को
मन मयूर सा हो जाता है और
पंख लगा उड़ जाता है
अपने प्रियतम पास,
एक तरफ नभ से होती तो
एक तरफ नयनों से बरसात
कहीं खुशी के, कहीं बिरह के
इस सावन के मौसम में,
करने को स्वागत।
सावन का
वसुधा ने ओढ़ी है चादर
हरियाली और सुमनों की।