मौन
मौन
शब्द अमर है
तो मौन अजर है
मौन शून्य के समान
परम ब्रह्मांड है
कुछ क्षण मौन रहकर तो देखो
यथार्थ ब्रह्मांड सत्य सापेक्ष होगा
शब्द एक भ्रमित चाल सा चलता है
मौन को सुनो
चुप रहकर भी बहुत कुछ कहता है
शब्द उलझाता है
तो मौन सुलझाता है
परंतु शब्द एक कला
तो मौन एक साधना है
शब्द का अंत ही मौन हो जाता
और मौन का आदि ही शब्द बन जाता
मौन स्वयं से आत्मसाक्षात्कार करा
समस्त ब्रह्मांड से है मिलाता
रेगिस्तान का रेत मौन है
हिमालय की चोटी मौन है
मौन सत है, मौन चित है
मौन आनंद है, मौन पवित्र है
मौन सर्वत्र है मौन मित्र है।।