मैंने प्रेम किया
मैंने प्रेम किया
मैंने प्रेम शाश्वत
निराकार निर्मल किया
हृदय से, अन्तः करण से,
रोम रोम से किया
प्रभु से किया,
मानुष से किया
जीव जंतु पक्षी से भी किया
परिवार से, यार से, संसार से
पूर्ण भाव से किया
बस एक ही बच गया
वो मैं, स्वयं, खुद से
कभी इतना तिरस्कार किया
तो अब खुद से प्रेम करना सीख गये
अपनी ख़ुशियाँ, अपने सपने
प्यार से जीना सीख गये
अब इतना पता है
पूरी सृष्टि से प्रेम करो, पर
खुद का तिरस्कार किए बिना
प्रेम तो प्रभु भी करते हैं
प्रेम बिना जीना क्या जीना..