मैं वक़्त हूँ
मैं वक़्त हूँ
मैं वक्त हूँ , बलवान और सर्वशक्तिमान हूँ ,
मैं वक्त हूँ ,परिवर्तनशील और गतिमान हूँ ।
कभी अच्छा कभी बुरा,किसी की समझ में न आऊंगा,
एक बार गुज़र गया तो ,लौट कर न आऊंगा ।
मुझे तो खुद ही नही पता, तुझको क्या बताऊंगा,
कि किसको मैं रुलाऊंगा और किसको मैं हँसाऊंगा ।
जिसने मेरा मोल पहचाना, वो मंज़िल की ओर बढ़ चले,
जिसने मेरा किया निरादर, वो पछताये और हाथ मले ।
मैं तो हूँ इक बर्फ का ढेला, पल पल फिसलता जाऊंगा,
जीना है इस पल में जी ले,मैं अगले पल तक रुक न पाऊंगा ।
जैसी होगी तेरी करनी, वैसा ही तू फल पायेगा ,
तेरी क्या औकात है तुझे 'वक्त' ही बतलायेगा ।
तेरे हर कर्म का मैं , निरन्तर हिसाब रखता हूँ ,
न बही खाता न कोई किताब ,बस 'चेहरे' याद रखता हूँ ।
जो जन परिश्रम करे उसे अर्श पर बिठा दूं ,
आलसी ,अभिमानी को इक पल में आईना दिख सकता हूँ ,
मैं फकीर को शहंशाह और शहंशाह को फकीर बना सकता हूँ ।
भिखारी हो या धनवान, मैं किसी के लिए नही रुकता हूँ,
मैं कोई इंसान नही जो गिरगिट के जैसे, पल पल रंग बदलता है ,
मैं वक्त हूँ ... सिर्फ वक्त आने पर ही बदलता हूँ ।।