मैं न था
मैं न था
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बड़ा बेअसर लगा आज मुस्कुराना उनका
मेरे दिल में वो हँसी ना थी या उस हँसी में
वो दिल न था
वो कुछ यूं कह कर तोड़ गई मुझ को
मैं बिखरा हुआ था जुड़ने के काबिल न था
वरना रोने को तो ग़म-ओ-फ़साने बहुत है
उसे याद करना भी कभी इतना मुश्किल न था
माँ की बातों ने कुछ रोक लिया खटखटाने से भी
दरवाज़ा तोड़ भी ना सकूँ मैं इतना बुज़दिल न था
कुछ होगा सितम उसके आ जाने में भी
यू खुलेआम रोना, मैं इतना कामिल न था
अब क्या बताऊँ मैं कैसे कैसे बह गया
हाँ बात ये भी है उस जैसा कोई साहिल न था