Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dr Sushil Sharma

Abstract Romance

4  

Dr Sushil Sharma

Abstract Romance

मैं मिलूँगा तुम्हें

मैं मिलूँगा तुम्हें

1 min
226


सुनो ! घबराना मत तुम

घर की इन दीवारों में जीवित हूँ मैं।

कभी आईने के सामने

हो जाना खड़े और देखना खुद को

मैं नजर आऊँगा।


किताब के हर पन्ने पर जीवित हूँ मैं।

विद्यालय के कक्षों मेंव्याख्यानों में

ब्लैक बोर्ड पर लिखे शब्दों में

कक्षा में बैठे हर छात्र की

आँखों में झाँकना

तुम मुझे पाओगे हँसते हुए।


जीवित हूँ मैं तुम्हारे आँगन की फुलवारी में।

तुलसी के पौधे में ध्यान से

देखना मेरे अक्स।

वसंत के फूलों में देखना

जीवित मिलूँगा मैं तुम्हे।


मैं जीवित हूँ तुम्हारी माँ की आँखों में।

उसकी उन चूड़ियों में जो उसने

सहेज कर रखी हैं अपने बक्से में।

जीवित हूँ मैं राघव में

मेरी छवि देखना तुम

बिट्टू और किट्टू में

जीवित मिलूँगा तुम्हें।


जब भी ऊँचा उठोगे मुस्कराओगे।

उस मुस्कराहट में जीवित मिलूँगा तुम्हें।

असफलता अपमान के आँसू

जब भी गिरेंगे तुम्हारी आँखों से

देखना प्रतिबिम्ब मेरा उन आँसुओं में।

जीवित मिलूँगा तुम्हें।


कर्तव्य पथ पर डगमगाने लगो।

या जिंदगी के झँझावातों में

उलझ जाओ घबराना नहीं

जीवित मिलूँगा तुम्हें,

तुम्हारा हाथ थामे हुए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract