मैं,मैं कम हूँ,ज्यादा तुम हूँ
मैं,मैं कम हूँ,ज्यादा तुम हूँ
कभी हूँ
कभी नहीं हूँ
मैं...मैं कम हूँ...
ज्यादा तुम हूँ
मेरे दोस्त कहते हैं
मेरे होठों पर तेरी
तेरे होठों पर मेरी
बातें जंचती हैं
बिना बताए तुझसे
बातें क्या पचती हैं
सो तेरी मेरी
मेरी तेरी
बातें सुन रातें
जगती हैं
टीस लतीफ़े
चुगली
गानों से सजती हैं
छत पर लेटे
ओढ़े अंबर की चादर
खुली आँखों में लिए
स्वप्न का सागर
बातों यादों की
लहर लहर में
पहर पहर
कट जाते हैं
एक दूजे में
मिलने हेतु
दोनों ख़ुद में
बँट जाते हैं
आशा है
लेकर आएगा
सूरज एक सवेरा
अपनाएंगे अपने हमको
होगा अपनों संग
एक बसेरा
होगा ख़ुशियों का फेरा
मस्ती डालेगी डेरा
आएगा एक सवेरा
आएगा एक सवेरा।