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शालिनी गुप्ता "प्रेमकमल"

Tragedy

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शालिनी गुप्ता "प्रेमकमल"

Tragedy

मैं हूँ....?????

मैं हूँ....?????

2 mins
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तुम कहते हो कि मैं परायी हूँ l

जिसने जनम दिया,

वो कहते हैं परायी हूँ l

जिसने अपनाया है,

वो भी कहते हैं कि परायी हूँ l

तो पूछती हूँ मैं तुमसे, बताओ !

फ़िर किसकी "अपनी" ,कहाँ से आई हूँ मैं?

तुम कहते हो कि मैं पराए घर की हूँ l

एक ने कहा उस घर की है,वही जाना है

उन्होने कहा दूसरे घर से आई है l

तो पूछती हूँ मैं तुमसे ,बताओ !

फ़िर "कौनसा घर" है,मेरा किस घर की हूँ मैं ?

तुम कहते हो कि हक नहीं है मेरा l

भाई कहता है कि जाओ!

यहाँ हक है मेरा l

पति कहता है कि बताओ !

कुछ लाई भी हो,जो है तेरा

जो भी है, सबकुछ है मेरा l

तो पूछती हूँ मैं तुमसे, बताओ!

किसपर जताऊँ, कौनसा हक है मेरा l


अभी तो तुमसे किए हैं,चंद सवाल मैंने l

जवाब तो माँगे ही नहीं, कभी !!

दो कुलों की कहलाती हूँ ,

दोनों को सींचती,सवाँरती हूँ l

नींव का पत्थर हूँ तुम्हारे घर का ,

जो हिल गया तो, सब ढह जायेगा l

एक बार बेगानी हो गई ना, तो बताओ!

बिना नींव का घर कैसे बनाओगे ??

मेरे काँन्धे पर, जो दोनों घरों की "इज्ज़त" है l

यदि मैंने ना सँभाली, तो इज्जत कैसे बचाओगे ??

मुझे अपनाकर भी,मुझसे सवाल करते हो,सोचो !

यदि मैंने नहीं अपनाया तो, अपना कुल कैसे बढ़ाओगे ??

चुप हूँ,मेरी चुप्पी को कमजोरी ना समझना,समर्पण है मेरा, 

क्योंकि हक माँगने पर आई तो,ये दुनिया ही हिल जायेगी l



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