मैं एक नारी हूं
मैं एक नारी हूं
हाँ मैं एक नारी हूँ।
नारी का अधिकार चाहिए
जीवन जीने का स्वतंत्रता चाहिए
हाँ मैं नारी हूँ,
मैं त्याग और ममता की बगिया हूँ।
मैं फुल हूँ, मैं गंध हूँ
मैं फुलों को निज जन्म देने वाली वनमाली हूँ।
हाँ मैं नारी हूँ।
कभी साजन की सजनी हूँ मैं।
कभी मितवा की प्रीत हूँ मैं।
कभी ममता की मूरत हूँ मैं।
कभी सीता की सूरत हूँ मैं।
हाँ मैं नारी हूँ।
नाजुक सी कली हूँ मैं
कोमल सी पत्ती हूँ मैं।
जीवन की कठोरता को सहती हूँ मैं।
नदियाँ बन दाता हूँ मैं।
साथी बन विहार हूँ मैं।
हाँ मैं नारी हूँ।
प्रेम चाहती हूँ दुलार चाहती हुँ।
बहुत थक जाती हूँ कभी-कभी
नहीं सहा जाता जब दर्द, और खुशियों
तब अपनी भावनाओं को कागज पर उतार लेती हूँ।
हाँ मैं नारी हूँ।
अपनों की खुशियों के लिए।
अपना सब कुछ वार देती हूँ।
कभी कोमल सी पिघलती हूँ।
कभी चट्टान सी अडिग रहती हूँ।
हाँ मैं नारी हूँ।
कभी अपने ही अश्रु पीती हूँ।
कभी सवचरित अल्फाजों में जीती हूँ।
गर्व है मुझे मैं एक नारी हूँ।
मैं कोई चीज़ या वस्तु नहीं,
बल्कि मैं एक नारी हूँ।
बस नारी।