मैं और तुम
मैं और तुम
मैं पुष्प महल की साखी हूँ,
तुम रचना अनगिनत तारों की,
मैं ज़मीं का सितारा,
तुम आसमां का पौधा !
मैं दिन की जगमग,
तुम रात की महक,
मैं खाक से जन्मा,
तुम हवाओं में पली !
मैं खुशबू हूँ, छाँव भी देता हूँ,
तुम आकाश की, रोशनी हो,
मैं खिलकर प्यार बाँटता हूँ,
तुम टूटकर प्यार जताती हो !
अलग कितने हैं हम दोनों,
पर सुबह और शाम को,
जब मिलते हैं हम,
हम होते नहीं वहाँ,
फिर भी होते हैं हम !

