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Vinay Panda

Abstract

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Vinay Panda

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मैदान खेल का

मैदान खेल का

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दुनिया भी एक मैदान ही है खेल का

हर इंसान खिलाड़ी है यहाँ

जब तलक वक़्त साथ देता है,


खेलकर ज़िन्दगी का खेल

लोग दुनिया से आउट हो जाते हैं।


थर्ड अंपायर बनकर ख़ुदा !

रखता है निगाह सबके उपर

खिलाड़ी खेलकर आपस में सब

आत्मनिर्भर होते यहाँ हैं।


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