Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ratna Pandey

Abstract

5.0  

Ratna Pandey

Abstract

मापदंड संस्कारों का

मापदंड संस्कारों का

2 mins
247


एक ही आंगन के दो बच्चे, घर बार वही माँ बाप वही,

फ़िर क्यों बदल जाता है, लालन पालन का व्यवहार वहीं,


संस्कार दिए जाते बिटिया को, रात को घर पर जल्दी आना,

कदम उठाना सोच समझ कर, देख परख कर मित्र बनाना,


बेटी अगर कुछ देर से आए, पूरा घर सर पर उठ जाता,

कहां रह गई इतनी देर, सोच मन सभी का घबरा जाता,


बेटा चाहे आधी रात को आए, प्रश्न पूछने का कहां ठिकाना,

लड़का है वह तो आ जाएगा, बेटे के लिए क्या ही घबराना,


कहां रुके और क्या किया, यह सवाल कोई नहीं पूछेगा,

मर्द होते हैं बेटे तो, अपना रास्ता वह स्वयं ही चुन लेगा,


इसी छूट के कारण कुछ बेटे, अपने पथ से भटक जाते हैं,

अच्छा बुरा सोच ना पाते, गलत काम को अंजाम दे जाते हैं,


दिए थे जो संस्कार बेटी को, काश बेटे को भी दिए जाते,

लुटती आबरू के किस्से, देश में अवश्य ही कम हो जाते,


जैसे स्वयं की बेटी की फ़िक्र है, हर बेटी की भी करनी होगी,

नारी का सम्मान करना, बेटों को प्रथम यही शिक्षा देनी होगी,


बेटा अगर बलात्कारी हो जाए, इज्ज़त नहीं उस परिवार की,

एक बार जो हादसा हो जाए, कीमत नहीं फ़िर पश्चाताप की,


संस्कारों का मापदंड, दोनों के लिए ही अगर बराबर होगा,

बेटियों की तरह बेटों पर भी, उतना ही जो अनुशासन होगा,


पथ से भटकने से पहले, वह एक बार तो अवश्य सोचेंगे,

दिए हुए संस्कार उन्हें गलत राह के हर कदम पर रोकेंगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract