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Shilpi Gupta

Abstract

4.5  

Shilpi Gupta

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माँ

माँ

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उस दिल का दर्द कैसे बयां करूँ 

जिसके पास माँ का साथ नहीं 

स्मृतियाँ ही शेष हैं !

कैसे बयां करूँ 

साथ बिताया हर पल  

कितना विशेष हैं !


जो दूर करदे सारी थकान 

उसकी छुअन में वो अहसास हैं !

वो दूर करदे सारा खालीपन 

जीवन की ऐसी मिठास हैं !

किस्मत कहुँ या कहुँ खुशनसीबी !

जिनकी माँ उनके पास हैं !


कभी यादो में तो कभी आदतों में 

वो एक परछाई सी 

कभी जुदा नहीं होती है !

वो एक माँ ही है

जिसकी जान हमेशा 

हमारी जान में समायी होती है।


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