मां
मां
मां तुम सबसे प्यारी,
दुनिया में तुम सबसे न्यारी,
लक्ष्मी दुर्गा तुममें साजे,
साक्षात घर में अन्नपूर्णा विराजे,
जिस घर में तुम रहती मां,
पवित्रता का वास बना उसमें रहता मां,
सब कुछ तुमसे है पाया,
रंग रूप गुण और तेरी छाया,
एक एक रूपयो से जैसे तूने महल बनाया है,
वैसा ही गुण मैने भी मां तुझ से ही तो पाया है,
मां मैं भी बनू तुझ सी ये तेरी ही तो काया है,
मां बेटी का रिश्ता ये तो ईश्वर कि ही माया है,
बात समझ में तब आई मां,
जब मैं खुद जननी कहलाई,
मां बेटी के प्रेम में ऐसी पहले कहा रम मैं पाई,
जैसे जैसे बेटी को जाना , उतना ही तू याद आई,
मां बेटी का रिश्ता ये जग में एक मां ही जान पाई।