माँ
माँ
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नहीं राबता मुझे इस जन्नत वाली दुनिया से
मैं तो मेरी मन्नत में भी तेरा एहतराम लिख दूं। माँ
तेरे पर आने वाले हर कोहराम पर मैं विराम लिख दूं
और अपने हिस्से का सारा आराम तुझ पर वारी कर दूं।। माँ
नहीं मोह मुझे इस दुनिया से,
मैं तो तेरी आँचल मैं अपनी हर शाम लिख दूं ।। माँ
अपनी कलम से इस आसमान में तेरा नाम लिख दूँ,
या इस कोरे कागज पर तेरा बस एक तेरा नाम लिख दूँ।। माँ
काफी नहीं हैं तेरे प्यार के लिए एक जन्म,
मैं तो हर जन्म तुझे पाने के लिए मन्नतों की किताब लिख दूँ।। माँ