माँ
माँ
आपको रच लूँ मैं, छन्दों में तो इबादत होगी, अकीदत होगी।
वार्ना माँ को बच्चों से,भला क्या चाहत होगी, हसरत होगी।
आपका खून लिए, दिल मेरा धड़कता है,
आपका दूध लहू बन, रगों में बढ़ता है।
माँ तेरे अक्स के सिवा, मेरी क्या हकीकत होगी, शख़्सियत होगी।
आपको रच लूँ मैं, छन्दों में तो इबादत होगी, अकीदत होगी…..
आपसे प्यार मिला, हम सोख-सरीर हो बैठे,
आपकी लोरी में, हम तो अपना गम खो बैठे।
माँ तेरे आँचल के सिवा, मेरी क्या जन्नत होगी, मन्नत होगी।
आपको रच लूँ मैं, छन्दों में तो इबादत होगी, अकीदत होगी…..
आपने जग-जग कर, ख्वाब मुझमें सींचा है,
खुद टांट पहन कर, मलमल मुझको भेजा है।
माँ तेरे चेहरे के सिवा, क्या भगवान की सूरत होगी, मूरत होगी।
आपको रच लूँ मैं, छन्दों में तो इबादत होगी, अकीदत होगी…..
आपसे पहला ज्ञान मिला, तब हम विद्वान कहलाये,
आपको सुन-सुन कर, ये होंठ कुछ भी तो कह पाए।
माँ तेरे बोली के सिवा, क्या कोई भी सुर मद्धम होगी, पंचम होगी।
आपको रच लूँ मैं, छन्दों में तो इबादत होगी, अकीदत होगी…..