माँ
माँ
माँ, काँटो बरी इस दुनिया में
फूलों का आँगन है माँ।
क्या कहना उस माँ का जिस के
कदमों में बसते दो जहान है।
ये कैसी रहमत है उस खुदा की
हम पे जिसने माँ देकर हमें खुद से भी
ज्यादा किस्मत वाला बनाया है।
कि गवाह है खुदा भी इस बात का की
जब जब धरती पे वो आया है
माँ के आँचल में ही अपना बचपन बिताया है।
माँ की लिखावट हुँ मैं..मैं क्या लिखूँ माँ पे..
मेरी माँ ने तो अपनी दुआओं से
मेरी किस्मत ही बदल दी है।