माँ...!
माँ...!
बस माँ में ही सुकूँ...।
माँ का मतलब...
तपते हुए मन को,
तरु की शीतल छाया...।
भूखे का भोजन मतलब माँ...।
ख़ुशियों के खनकते सिक्कों का मतलब माँ...।
सुबह की पहली किरण है माँ...।
बिना किसी पते का ठिकाना है माँ...।
बिना किसी मुहूर्त के जो...
मिले उसका मतलब है माँ...।
कुछ ना होकर भी...
सबकुछ होने का मतलब है माँ ..!
जब इतना कुछ माँ में है समाया...
तो फिर कैसे ना हो ख़ुद पे गुरूर..!!!