मां तू कितनी प्यारी
मां तू कितनी प्यारी
मां तेरा हाथ का स्पर्श एक कमल है तेरे हाथ के
आशीष से सब सफल है। मेरा भाग्य तूने ही संवारा है
जन्म से मेरे हाथ की लकीरें तेरे ही नकल है।
तेरे लिए रहा मैं वही नादान छोटा सा
तूझे समझने की कहां मुझे अक्कल है।
सिर्फ तेरे ही दिल में बसी है मेरी सूरत
दुनिया के लिए ये सूरत तो नवल है।
तू सिखाती रही मुझे दुनिया के उसूल
तेरी कही हर बात आज भी अमल है।
तूझे दुख ना दूं ऐसी शक्ति मुझे देना
क्योंकि मेरी मां में अंबे की शक्ल है।
पुत्र कूपूत हो जाता पर कुमाता नहीं और
दुनिया में एक यही सच अटल है।