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संजय असवाल "नूतन"

Others

4.5  

संजय असवाल "नूतन"

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मां...! तेरे दर पर..!

मां...! तेरे दर पर..!

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मां तेरे दरबार झुके 

ये सारा संसार,

जिस पर कृपा तेरी बरसे

उसका हो जाए बेड़ा पार।


भक्तो की तू लाज बचाती

उपकार सदा तू करती है,

तेरे दर पर जो आ जाए 

झोली तू उनकी भरती है।


जग को जीवन देने वाली 

सदा हाथ मेरे सर रखना,

बीच भंवर में फंस जाऊं तो

मेरी सदा रक्षा करना।


हे जगदम्बे.! हे दुर्गा माता. !

सुन लो मेरी पुकार,

राह विमुख न हो जाऊं मैं

कर लो मेरी प्रार्थना स्वीकार।


लाल रंग की चुनरी पहने

मां सजा है तेरा दरबार,

नवरात्रे की इन खुशियों में मां

पुलकित हुआ सारा संसार।


किस विधि पाऊं मैं दर्शन तेरे

मां कैसे पहुंचु मैं तेरे द्वार,

तेरे चरणों में आठों याम हैं मेरे

मां करदे तू मेरा उद्धार।


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