माँ की याद
माँ की याद
जाने क्यों ये सब आज भी अच्छा लगता है
ये घर देख कर मन बच्चा लगता हैं
पिता का प्रेम तो बहुत है इस मेे
ना जाने क्यों मा का त्याग लगता हैं।
कैसे बनाया ये घर
मा का हाथ था
या पिता का कर्ज।
यही तो अपना घर है
नहीं चाहिए दौलत
इस मेे ही गुजरा बचपन है।
देख इस की माटी को
मा के हाथ छपे है
कैसे महल मेे रहूं जाकर
इस मेे मा के प्राण बसे है।
देखो एक कोने में माँ की यादों को
देखो तो सही माँ ख्वाबों को।