मां के क्रोध में प्यार
मां के क्रोध में प्यार
मां तेरे होंठों की हंसी में मुझे
सारा संसार नजर आता है।
तुम्हारे गुस्से मे मुझे,
प्यार नजर आता है।
तुम करती हो प्यार हमेशा ,
इजहार क्यों नहीं करती हो।
एक ही बात को तुम,
हमेशा क्यों कहती हो।
डांट कर तुम हमेशा,
स्वच्छता का पाठ पढ़ाती हो।
पर्यावरण का संरक्षण करना
यह भी समझाती हो।
मेरे जीवन को सही मार्ग पर ले जाकर,
संयम तुम ही बताती हो।
मेरी डांट को प्यार समझना,
यही तुम समझाती हो।
मां तुम्हारी इन्हीं बातों में ,
मुझे प्यार नजर आता है।
जीवन जीने का,
सही मार्ग नजर आता है।
कैसे कहूं मां,तेरे आंचल के नीचे,
मुझे चैन बहुत आता है।
क्रोध में भी,
प्यार नजर आता है।