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Shakuntla Agarwal

Others

4.8  

Shakuntla Agarwal

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"माँ का आँचल"

"माँ का आँचल"

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माँ, मुझे गले से लगाले

आँचल में छुपाले

मेरा यहाँ कोई नहीं,

बौझ मरी नौ माही,

बौझ समझ फिर करदी नी विदाई,

कि मेरा यहाँ कोई नहीं,

माँ, मुझे गले से लगाले

आँचल में छुपाले

मेरा यहाँ कोई नहीं,


कच्चें दूधों से पाली,

पल में बेगानी कर डाली,

कि मेरा यहाँ कोई नहीं,

माँ, मुझे गले से लगाले

आँचल में छुपाले

मेरा यहाँ कोई नहीं,


तेरी लोरी बहुत याद आये,

मुझे तड़पाये,

कि मेरा यहाँ कोई नहीं,

माँ, मुझे गले से लगाले

आँचल में छुपाले

मेरा यहाँ कोई नहीं,


बाहों के झूलें बहुत याद आयें,

मोहे अपने पास बुलायें,

कि मेरा यहाँ कोई नहीं,

माँ, मुझे गले से लगाले

आँचल में छुपाले

मेरा यहाँ कोई नहीं,


माँ पँछी बन जाऊँ,

तेरे आँगन में उड़ आऊँ,

तेरी मुँडेर पे सज जाऊँ,

कि मेरा यहाँ कोई नहीं,

माँ, मुझे गले से लगाले

आँचल में छुपाले

मेरा यहाँ कोई नहीं,


बिन पानी पपीहा तरसे,

ज्यों तेरी ममता मोहे तरसाये,

कि मेरा यहाँ कोई नहीं,

माँ, मुझे गले से लगाले

आँचल में छुपाले

मेरा यहाँ कोई नहीं,


तेरी सीख बहुत याद आये,

मोहे राह दिखाये,

कि मेरा यहाँ कोई नहीं,

माँ, मुझे गले से लगाले

आँचल में छुपाले

मेरा यहाँ कोई नहीं,


सीता सा स्तीत्व कहाँ से लाऊँ,

जो धरती में समाऊँ,

कि "शकुन" मेरा यहाँ कोई नहीं,

माँ, मुझे गले से लगाले

आँचल में छुपाले

मेरा यहाँ कोई नहीं || 


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