मां का आंचल
मां का आंचल
तेरे आंचल की छांव में
ना जाने कब बड़ी हो गई
कल तक कि मैं तेरी परी
आज परछाई तेरी बन गई।
थाम तेरी उंगली चलना सीखा मैंने
सहारा बन आज तेरी खड़ी हो गई
याद है वह दिन आज भी मुझे
तेरी डांट फटकार के,
जिसने मुझे आज इस
माहौल में जीना सीखा दिया
तुम मुझे छोड़ दूर चली गई
मैं तेरे लिए एक आंसू ना बहाऊंगी।
तुझे याद कर करके
मां मैं तेरी परछाई बन दिखाऊंगी।