माई
माई
जब भी मुझे निंदिया ना आई है
गोद में सर रख के लोरी सुनाई है
पड़ा बीमार जब भी मैं
मेरे सर को दबाई है
बना के पसंद के खाने
मुझे दिन-रात खिलाई है
मुझे पीटा है दम भर के
पर खुद आंसू बहाई है
मेरे दुःख दर्द को उसने
दुआ की दी दवाई है
जब भी घबरा गया डर से
मेरा हिम्मत बढ़ाई है
मुझे सच्चाई के, राह पे चलना
नित दिन, उसने सिखाई है
मेरे गलतियों पे गुस्से से
मुझे खरी-खोटी सुनाई है
पर बाद में हंस के
बात पूरी समझाई है
मेरी पहली है शिक्षक वो
दिया दुनिया की पढ़ाई है
और कोई नहीं सुन लो
मेरी प्यारी वो माई है