लोरी
लोरी
अब मांयें नहीं सुनाती
अपनी लाड़लियों को
वो कहानियां
जिन्हें सुनकर वे बडी़ हुई
और सपने देखने लगीं
घोडे़ पर सवार
राजकुमार के
बडे़ -बडे़ महलों के
महारानियों जैसे ठाट बाट के
वे करा रही हैं
जिंदगी के
असल रूप से सामना
अपनी लाड़लियों का
क्योकिं उन्होंने झेला है
सपने टूटने का दर्द
भुगते हैं वे लम्हे
जब कोई ना था हमदर्द
उन्होंने चखा है
जिंदगी का कड़वापन
उन्होनें तोड़ा है
न जाने कितनी दफा
अपना ही मन
वे खूब चली हैं
कडी़ धूप में नंगे पांव
वे जानती हैं
सबके हिस्से आती नहीं
खुशियों की छांव
इसलिये तो!
वे सुला देती हैं
लोरी गाकर ही
अपनी लाड़लियों को
वे जान चुकी हैं
कि कहानियां केवल
कहानियां होती हैं
जिंदगी की हकीकत तो
कुछ और ही होती है.......