लोकतन्त्र का उत्सव
लोकतन्त्र का उत्सव
सरकार, मीडिया और कितने अनजाने लोगों ने,
हर मतदाता को जिम्मेदार नागरिक बता दिया,
मतदाता को वोट का अधिकार याद दिला दिया,
और मतदाता को मतदान केंद्र तक पहुंचा दिया।
लोकतन्त्र के उत्सव से, हमको भी जुड़ना पड़ा,
जिम्मेदार के अधिकार का उपयोग करना पड़ा,
लाइन में खड़े २ खुद से, ये सवाल कर रहे थे,
अपना अमूल्य वोट देके, हम किसे चुन रहे थे।
जिसने पार्टी टिकिट और चुनाव जीतने के लिये
अपना करोड़ों रुपया पानी के जैसे खर्च किया है
जो पाँच साल अद्रश्य, हमारा नया हाकिम होगा
जो साम दाम दंड भेद से, हम पर राज करेगा
जो हमारे इतिहास को, मिटाने का काम करेगा
जो विकास के नाम पर, जेब में करोड़ों भरेगा
जो वोट लेने के लिए बैंकों के कर्जे माफ करेगा
जो हमारी विरासत को बदलने में व्यस्त रहेगा
आखिर कुछ तो खासियत है, इस लोकतन्त्र में
चुनने के बाद फकीर भी, शहंशाह बन जाता हैं
प्रदेश की २०० सीट पर, ४,५०० करोड़ का खर्च
आखिर कोई कैसे करेगा, ‘योगी’ ये लोकतन्त्र है |