लम्हे..
लम्हे..
कभी तुम्हें मेरी भी याद
आती तो होगी,
गीत मेरे कभी तुम
गुनगुनाती तो होगी,
बरसती होगी जब बूंदें
आसमान से, तुम
जान बूझ कर थोड़ा सा
भीग जाती तो होगी,
तन्हाई में बैठे बैठे
कभी याद में मेरी
मुस्कुराती तो होगी,
मेरा नंबर डिलीट
करते करते ,
उंगलियां तुम्हारी भी
रुक जाती तो होगी,
कभी किसी से
सुन कर नाम मेरा
चौंक जाती तो होगी,
मन करता तो होगा
बात करने का
मगर ज़ुबान
थरथरा ती तो होगी,
जब आ जाते होंगे
आंसू आंखों में
सबसे चेहरा अपना
छुपाती तो होगी,
कभी तुम्हें मेरी भी याद
आती तो होगी!