लम्हा लम्हा
लम्हा लम्हा
लम्हा लम्हा कट गया जिंदगी का ये लंबा सफर
क्या पाया क्या खोया
बीता बचपन गई जवानी
अब तो बुढ़ापा है दहलीज पर
कल बेटी थी फिर बहू बनी
अब सास बनने को बेताब हूं
कोई कहता" तुम तो छा गए"
कोई कुढ़ता है पर कुछ कहता नहीं
पहले चली मां बाप की
फिर हुक्म चलाया पति ने
अब बच्चों की चलती है
हां इन सबके बीच में
खूब मनवाई है बात मैंने
झड़ने लगे हैं बाल अब
चेहरे पर परतें अनुभव की
धीरे-धीरे बदल रही है
वह मस्तानी चाल भी
कितने छूटे इस राह में
कुछ अनजानों ने हाथ थामा
जिंदगी खूबसूरत बन जाती है
जब अपने हमसफर बन जाते हैं
पग पग पर उनका साथ हो तो
जिंदगी यूं ही कट जाती है
जिंदगी यूं ही कट जाती है।