लकीरें
लकीरें
हाथों की चंद लकीरों का
खेल है सब क़िस्मत का
लकीरें बदलतीं रहीं जब-जब
जिंदगी बदलती रही तब-तब
किसी को मिली शय यहां
कोई खा गया मात
ये तक़दीर की ही तो है बात
किसी की झोली है खाली
किसी को मिली है सौगात।
हाथों की चंद लकीरों का
खेल है सब क़िस्मत का
लकीरें बदलतीं रहीं जब-जब
जिंदगी बदलती रही तब-तब
किसी को मिली शय यहां
कोई खा गया मात
ये तक़दीर की ही तो है बात
किसी की झोली है खाली
किसी को मिली है सौगात।