लिखूँ कुछ
लिखूँ कुछ
लिखूँ कुछ तुझ को जब यह सोचकर कागज़ उठाया है,
कलम ले हाथ में तेरा ही मुझ को ध्यान आया है।
हृदय में भाव जो उनके लिये कब शब्द मिल पाये -
नयन मूंदे तो जाना पलक - पट में तू समाया है ।
लिखूँ कुछ तुझ को जब यह सोचकर कागज़ उठाया है,
कलम ले हाथ में तेरा ही मुझ को ध्यान आया है।
हृदय में भाव जो उनके लिये कब शब्द मिल पाये -
नयन मूंदे तो जाना पलक - पट में तू समाया है ।