लगन
लगन
मेरे मन में लगन लगी है
मैं गुरु जी की प्यारी हूं जाऊं
प्यारी हो कि प्रीत लगाऊं
प्रीत लगाकर गुरुजी को रिझाओ
ऐसी मैं तो लगन लगाऊं।
गुरुजी के हृदय में समाऊं
गुरू जी के आदेशों को निभाऊं
इस दुनियां की रीत निराली
यह मुझको जीने ना देगी
मतवाली हो कर गुरुजी को रिझाऊं
गुरु जीके चरणों में नित्य शीश झुकाऊं
मैंतो गुरू जी की प्यारी हो जाऊं
गुरू जी मेरे सिर पर रख देना हाथ
कि मैं भवसागर से पार उतर जाऊं
प्यारी हो जाऊं मतवाली हो जाऊं
मतवाली होकर तुम्हारी ही गुण गाऊं
सत्संगियों के संग प्रीत लगाऊं
तुम्हारे गुण गा कर अमृतवाणी पाऊं
गुरु जी मैं तुम्हारी प्यारी हो जाऊं
तुमको देख देख कर मैं
अश्रुधारा से चरणों को धोऊं
चरणामृत पीकर में
जीवन को सफल बनाऊं
मन करता है
मैं गुरुओं की प्यारी हो जाऊं
मन करता है
मैं गुरुओं की प्यारी हो जाऊं।