"लड़कियां क्यूं ना जाने...? "
"लड़कियां क्यूं ना जाने...? "
लड़कियां क्यूं ना जाने
लड़कों सी नहीं होती....!?
लड़की क्यूं ना जाने
कोमलता से खाली नहीं होतीं....!?
क्यूं नहीं हो जातीं वो
बेरहम, कुटिल,स्वार्थी
लम्पट,घातक,अतिचारी???
क्यूं कि ये नहीं उनकी थाती,
वात्सल्य से भरी उनकी छाती,
करुणा जिनका श्रृंगार है,
दया से भरा जिनका भंडार है ,
परमात्मा ने बनाया जिनको
सृष्टि का सृजनहार है।।
तो सृजनहार कैसे बन जाए संहारक??
अंगारा बन कैसे जला दे
अपनी ही सृष्टि का बसेरा??
लड़की को क्यूं होना चाहिए
लड़कों जैसा???
क्या वह ख़ुद में बेहतर नहीं ?
वह परमात्मा की अनुपम,अद्वितीय कृति है
वह अपने गुणों में संपूर्ण हैं।
क्योंकि ज्यादा बेहतर है लड़कों से
उसे मिली है नेमत अनमोल स्त्री होने की
सद्गुणों की अद्भुत खान है।।
अपने संपूर्ण व्यक्तित्व में लड़की
लड़कों सी नहीं होती।
साहसी,धैर्यवान,दयावान, गुणवान
लक्ष्मी,सरस्वती,दुर्गा सभी उसमें समाएं
अन्नपूर्णा बन भरे सभी का उदर
तो उसे क्यों लड़कों के गुण भाये??
क्यों लड़कों सी हो जाएं??
ना जी ना!! हम लड़कियां,
लड़कियां ही अच्छी हैं,सच्ची हैं
सच्ची हैं,ईश्वर की अनुपम कृति हैं।
हमारी तो ये ही अभिलाषा
हर जन्म में बनें किसी की आशा।
हर जन्म में बनें किसी की आशा।।