लड़की ( एक देन )
लड़की ( एक देन )
लड़की दुनिया से कहती है कि ......
मैं लड़की नहीं विधाता की देन हूँ,
मुझ में काबिलियत है पर दुनिया से डरती हूँ,
ना ही छल ना कपट है मुझ में,
बस लाेगाें की सोच से नफ़रत है मुझे।
मैं हूँ माँ दुर्गा का रूप, पर जब मुसीबत आए
तो बन जाती हूँ माँ काली का रूप।
संघर्षाे से जीवन निकालना आसान है मेरे लिए,
बस थोड़ा मन को शांत रखना कठिन हैं।
मेरे लिए ईश्वर, अल्लाह, सिख, ईंसाई
सब एक समान है क्योंकि सबका
मालिक एक ही है।
मैं रूकती नहीं, झुकती नहीं, थकती नहीं ,
न ही भागती हूं बस चलती रहती हूँ और
अपनी मंज़िल स्वयं तय करती हूँ।
ना कोई उम्मीद , ना भरोसा है किसी पे ,
खुद को अलग इस दुनिया के सामने
वक्त आने पर कुछ कर दिखलाना है।
उत्साह, जोश, उमंग यही मेरा लड़की
होने का सबूत है ...
यही सच्चाई , यही हकीक़त है
ऐसे ही जन्म लेना खुशनसीबी है
मेरी मंज़िल तो बहुत दूर है,
पर आँखों में जुनून भरा जोश है,
मुझे पता नहीं मैं कहां जा रही हूँ
बस इतना पता है कि मैं अपने
पथ से कभी भटकूंगी नहीं।
रास्ता कठिन है पर एक न एक दिन
अपनी राह स्वयं चुनूंगी ,
बस मैंने ठान लिया है, अपनी मंज़िल का
निशाना और निकल पड़ी हूँ जिंदगी की
नाव पर।
कड़वापन नहीं है मुझ में, बस कुछ
करने की लालसा है।
मेरा लक्ष्य तो बहुत ऊँचा है, पर बिना आशीर्वाद
माता-पिता के ये कभी संभव नहीं।
मैं जन्म लेते वक्त किसी का भी फैसला
ले के नहीं आई हूँ , बस मेरे कर्म करने से
सब संभव है।
मैं तो नन्ही - सी हूँ, मेरा कोई नहीं है
पर धरती पर कदम रखते ही सहारा मिला हैं।
मैं ऐसे ही बड़ी नहीं हुई -- तब एक कोमल - सी
जान थीं और अब प्ररणादायी बन गई....
"लड़की हूँ पर लड़कों से कम नहीं
लड़की हूँ पर लड़कों से कम नहीं ".....