लब ख़ामोश रहे होंगे
लब ख़ामोश रहे होंगे
जब हसरतों को उसकी ग़ुरबत ने डुबोया होगा
लब ख़ामोश रहे होंगे दिल बहुत रोया होगा
उसके सीने में भी कुछ अरमान तो रहे होंगे
छोटा सा सही ख़़्वाब उसने भी पिरोया होगा
बर्दाश्त न हुए होंगे दुनिया के सितम उससे
दर्द फिर उसने अपने आंसुओं से धोया होगा
हर बार ही गया होगा सहम सिमट सा वो
बेरुख़ी का तीर जब लोगों ने चुभोया होगा
शिकस्ते हालात से जब उसको भी मिली होगी
हर बार यक़ीं ख़ुद का भी उसने तो खोया होगा
मज़बूरियों के साये में बहुत थका भी होगा
कांधे पे राकेश जब हालात को ढोया होगा