लाल बत्ती
लाल बत्ती
लाल बत्ती देती संकेत
चाहे जीवन गति हो
चाहे ह्रदय गति हो
चाहे शीध्र गति हो
रुक जाती संकेतना समझो
दे रही थी संकेत
सिग्नल की लालबत्ती
अप नी लाल रंगीन भाषा में
पर वो ना समझी नादान
कर ही दिया उलंघन उसने
उस दिन महिला दिवस था
वो कुछ जल्दी में थी
जगह जगह मोर्चे थे
रैलियां थी नारी जागृति की
पर वो जागृत ना थी
अचानक हुई एक चीख
सब हो गए थे हतप्रद
सांसें। थम सी गई थी
दिल धड़कने लगे थी
ट्रैफिक जाम हुआ
सड़क पर वो लाश बनी
खून से लथपथ पड़ी थी
लोगों। और पुलिस से घिरी
वो प्यारी सी मूरत थी
हो गई अब विभत्स थी
चारों ओर लहूं विखरा
तेज आती गाड़ी ने रौंदा
दृश्य बड़ा ह्रदय विधायक
कोई चीखा तो कोई रोया
प्रयाण पखेरु उड़ गए थे
उसके हाथों की चूड़ियां
पैरों की छनकती पायल
गले का चमकता मंगलसूत्र
माथे का दमकता सिंदूर
सुहागिन लग रही थी
हटो-हटो-हटो
पुलिस की एक गाडी़ आई
उसे उठाकर यूं डाल दिया
मानों इसां नहीं भूसे का बोरा
आंखें बरसी मन उदास हुआ
सड़क पे विखरा सामान
समेटने में सब लगे थे
बच्चे का स्कूल टिफीन था
इतनी बहदवासी में वो थी
सिग्नल की लालबत्ती ना दिखी
यह लालबत्ती ही तो
राहगिरों का जीवनदान है
ना समझो तो मुत्यु दान है
कसूर किसी का भी न था
नासमझी में मौत गले लगी
मन में कई प्रश्न उठे
नहीं वो पागल ना चोर थी
ममयामयी प्यारी मां थी
नादान कहो या मूर्ख कहो
बस ज्ञान ना था 'लालबत्ती'
का प्राणों को मुफ्त में गवां बैठी
कैसी विडम्बना थी
यह विडम्बना ही थी
विडम्बना ही।