लाचारी
लाचारी
बहुत चाहा मगर तुम मेरी
चाहत को लाचारी समझ बैठे,
बहुत समझा मगर तुम मेरी
समझ को कमजोरी समझ बैठे,
एक रोज बहुत पछताओगे
जब हम ना होंगे तुम्हारे पास,
आंखे छलक जाएंगी बस
मेरी याद रह जाएगी तुम्हारे पास।।
बहुत चाहा मगर तुम मेरी
चाहत को लाचारी समझ बैठे,
बहुत समझा मगर तुम मेरी
समझ को कमजोरी समझ बैठे,
एक रोज बहुत पछताओगे
जब हम ना होंगे तुम्हारे पास,
आंखे छलक जाएंगी बस
मेरी याद रह जाएगी तुम्हारे पास।।