क्योंकि लड़के रोते नहीं
क्योंकि लड़के रोते नहीं
ज़िन्दगी में गम हो
या खुशी
ज़िम्मेदारी बशर्ते निभाना है
कोई अपना हो न हो
हर मुश्किल हस्ते-हस्ते
सहते जाना हैं।
रिश्तों के भंवर में
जोहर हो या मगरिब
हर लम्हां
खुदा की इब्दत में
मशगूल हैँ।
क्योंकि लड़के रोते नहीं
पर एहसास
तो हममें भी है
आँसु मोती के न सही
पर किम्मती तो
हम मर्दों के भी हैं।
इम्तेहान चाहे जितने लें
ईरादों में मिलावट न होगी
सीप के कवच की तरह
ताकत अपने परिवार के लिए
फौलाद से टकराने की होगी।
बेटा बना भाई बना
पति बना
फिर बना मैं बाप
सब पात्रों का रुप अनोखा
चाहे भिखारी हूँ या हूँ नवाब।