क्यों?
क्यों?


ग्रे रंग
तुम्हें मैं
कैसे
आत्मसात
करूँ
डर
लगता हैं
तुम्हारे
इस
रूप से
तुम्हें देख
मन
खिन्न सा
क्यों हो
जाता है
क्यों
आनंद
और
उल्लास
नहीं
निकल
पाता है
एक
गम्भीरता
एक
उदासी का
भान
होता है।
ग्रे रंग
तुम्हें मैं
कैसे
आत्मसात
करूँ
डर
लगता हैं
तुम्हारे
इस
रूप से
तुम्हें देख
मन
खिन्न सा
क्यों हो
जाता है
क्यों
आनंद
और
उल्लास
नहीं
निकल
पाता है
एक
गम्भीरता
एक
उदासी का
भान
होता है।