Naushaba Suriya

Abstract

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Naushaba Suriya

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क्या मुझसे दोस्ती करोगे ?

क्या मुझसे दोस्ती करोगे ?

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क्या मुझसे दोस्ती करोगे ?

मै महफिल दोस्तों की नहीं सजाती,

दोस्त ही मेरी महफिल कहलाती,

कुछ अलग नजरिये हैं मेरे,

कुछ अलग आदतें रखती हूं,


हा जिससे सच्ची दोस्ती करती हूं,

आखरी सांस तक निभाती हूं,

क्या मुझसे दोस्ती करोगे ?

बहुत सच्ची नजर आती हैं आंखे,

नही है कोई भी होटों पर दिखावे,

दिल तो आइना सा साफ रखते हो ?


क्या अब मुझे अपनी दोस्त कहती हो

जिंदगी के नए रंग में रहता हूं,

क्या मेरे संग दोस्ती का सफर तय करोगी ?

तुम मुझे बहुत पसंद हो,

सच्ची तुम बहुत अच्छी हो,

अब तो बता दो मुझसे दोस्ती करोगे ?


कुछ खास नही मुझमें,

मगर मैं अपने सपनों के पास रहना पसंद करती हूं,

मैं अपनो के खुशी का खरीदार कहलाती हूं,

मैं थोड़ा गैर जवाबदार कहलाती हूं।


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