क्या लिखूँ
क्या लिखूँ
ऑसुओं से लथपथ वो कहानी क्या लिखूँ,
जो बीत गई वो ज़िन्दगानी क्या लिखूँ।
क्या लिखूँ मैं उस कहानी को जिसमें
तुम्हारा साथ होकर भी हम अकेले थे,
हर एक पल को घुट-घुट कर हम झेले थे।
बिछड़ के अब तो चैन भी छिन जायेगा,
ये वक्त भी यूँ ही बीत जायेगा।
पर तन्हाइयों में तू बहुत याद आयेगा,
इन ऑखों पर अश्क़ बनके
ताअम्र तू ठहर सा जायेगा।