क्या करें
क्या करें
कैसा उनसे हुआ सामना क्या करें,
दो कदम का रहा फासला क्या करें।
जिंदगी के नये ख़्वाब बुनते रहे,
जैसा चाहा वो ही ना हुआ क्या करें।
वो करीब आये और बात हो ना सकी,
कुछ अधुरा रहा चाहना क्या करें।
जिनकी खातीर उठाये हज़ारों सीतम,
वो ही रुठा मेरा आशना क्या करें।
बज्म की ये बेखुदी खींच लाइ यहाँ,
होश में ही न था भागना क्या करें।
चाह घटती रही आस बढ़ती रही,
खुद को मासूम पड़ा थामना क्या करें।